*मान लीजिये*
आप पसीने से तर बतर हैं, बहुत प्यासे हैं, गला सूख रहा है पर कहीं भी पानी नहीं मिल रहा है. ऐसे में आप एक वृक्ष की छाया में थकान मिटाने के लिए खड़े होते हैं.
तभी सामने की एक इमारत की पहली मंजिल की खिड़की खुलती है और आपकी नजर उस व्यक्ति से मिलती है. आपकी स्थिति देखकर वह व्यक्ति हाथ के इशारे से आपको पानी के लिए पूछता है.
आपकी उस व्यक्ति के बारे में कैसी राय होगी ?
(यह आपकी पहली राय है.)
आदमी नीचे आने का इशारा करता है और खिड़की बंद कर देता है. नीचे का दरवाजा 15 मिनट बाद भी नहीं खुलता.
अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है ?
(यह आपकी दूसरी राय है.)
16 मिनट बाद दरवाजा खुलता है और आदमी कहता है:
मुझे देरी के लिए खेद है लेकिन आपकी हालत देखकर मैंने आपको पानी के बजाय नींबू पानी देना सबसे अच्छा समझा, इसलिए थोड़ा समय लग गया.
अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी राय बदल गई होगी ?
याद रखें कि आपको अभी तक कोई पानी या शर्बत नहीं मिला है.
(उस व्यक्ति के बारे में यह आपकी तीसरी राय है, ध्यान में रखें.)
अब जैसे ही आप शर्बत को अपनी जीभ पर लगाते हैं, आपको पता चलता है कि इसमें चीनी नहीं है.
अब आप उस व्यक्ति के बारे में कैसा महसूस करते हैं ?
(चौथी राय आकार ले लेती है.)
आपके चेहरे को खट्टेपन से भरा हुआ देखकर, व्यक्ति धीरे से ग्लूकोज़ पाउडर का एक पाऊच निकालता है और कहता है: आप अपने स्वाद के अनुसार जितना चाहें उतना डाल लें.
अब उसी व्यक्ति के बारे में आपकी राय फिर बदल गई होगी ?
एक सामान्य स्थिति में अगर हमारी राय इतनी खोखली है और लगातार बदलती जा रही है तो क्या हम किसी के भी बारे में राय देने के लायक हैं ?
*वास्तव में, दुनिया देखकर इतना समझ आया कि अगर कोई व्यक्ति आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करता है तो वह अच्छा है, अन्यथा वह बुरा है.*
दिलचस्प बिन्दु है, इस पर विचार करें..
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